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वर्ण -विचार | Phonology

                                    वर्ण -विचार | Phonology

परिभाषा:- भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई को 'ध्वनि' तथा इसके लिखित रूप को 'वर्ण' कहते है :जैसे -क, ख, ज, ट, प, म, आदि वर्ण हैं। अतः हम कह सकते हैं कि मौखिक ध्वनियों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को 'वर्ण' कहते है | 
वर्ण -विचार | Phonology
                                    वर्ण -विचार | Phonology

परिभाषा :-किसी भाषा की मूल ध्वनि के लिखित रूप में प्रयुक्त  चिन्ह 'वर्ण' या 'अक्षर' कहलाते हैं। जैसे -अ, आ, क, म आदि।
वर्णमाला - वर्णों के क्रमिक रुक में व्ययस्थित समूह को 'वर्णमालकहते है ;अ  से लेकर ह तक हिंदी भाषा की वर्णमाला में ग्यारह स्वर ,तैतींस व्यंजन, दो अयोगवाह, कुल 46 हैं।  यदि इनमे 'ड़' और 'ढ़'  जोड़ दिया जाए ,तो व्यंजनों की संख्या 35 और वर्णो की संख्या 48 हो जाती है।  लिखित वर्णों में क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, चार संयुक्त व्यंजन भी सम्मिलित किये गए हैं।
उच्चारण की दृष्टि से हिंदी वर्णमाला को  में बाटाँ  गया है :
1 . स्वर (Vowels)       2. व्यंजन (Consonants)
देवनागरी वर्णमाला
    स्वर :       अ  आ  इ   ई  उ  ऊ ऋ  ए  ऐ  ओ औ          अनुस्वार :  अं   (ां )
 मात्राएँ :       X     ा   ि     ी   ु   ू       ृ       े   ै    ो    ोे             विसर्ग   :  अः  (ः )
व्यंजन :
 क  ख  ग  घ  ड - कवर्ग  
 च  छ  ज  झ     - चवर्ग 
 ट  ठ  ड  ढ  ण  - टवर्ग 
 त  थ   द  ध  न  - तवर्ग 
 प  फ  ब  भ  म -  पवर्ग 
      य   र  ल  व   :अंतःस्थ  (Semi-vowels)
      श  ष  स  ह   :संघर्षी (उष्म) (Sibilants)
       क्ष त्र  ज्ञ  श्र    :सयुंक्त (Conjunct)
                ड़ ढ़    :उत्क्षिप्त  

                                      स्वर (Vowels)

परिभाषा -जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध (रुकावट) के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है ,उन्हें 'स्वर' कहते हैं स्वर संख्या में ग्यारह हैं। स्वर को 'स्वतंत्र वर्ण' भी कहते है। 
                                                    स्वरों के भेद (Kinds of Vowels)
1. ह्र्स्व स्वर  2. दीर्घ स्वर 3. प्लुत स्वर

1. ह्र्स्व स्वर:-जिन स्वरों को बोलते समय काम-से-काम समय लगता है ,उन्हें ह्र्स्व स्वर कहते हैं। ये संख्या में चार हैं- अ ,इ ,उ ,ऋ। 

2. दीर्घ स्वर:- जिन स्वरों को बोलते समय ह्र्स्व स्वर से दुगना समय लगता है,उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं-आ ,ई ,ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ दीर्घ स्वर हैं ,इन्हें संधि स्वर कहते हैं। 

3. प्लुत स्वर:-जिन स्वरों को बोलते समय ह्र्स्व स्वरसे तिगुना समय लगता है ,उन्हें प्लुत स्वर हैं  जैसे -ओउम्  

                                                       व्यंजन वर्ण (Consonants)

परिभाषा -जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से वायु का प्रवाह रूककर या घर्षण के साथ निकलता है ,उन्हें 'व्यंजन' कहते हैं। व्यंजन का उच्चारण सदा स्वर की सहायता से होता है जैसे - क्+अ =क   , प्+अ =प 
 व्यंजनों के भेद (Types of Consonants)
स्थान की दृष्टि से व्यंजनों के चार भेद होते हैं 
1. स्पर्श व्यंजन  (25) 
2. अंतःस्थ व्यंजन (4) 
3. संघर्षी (उष्म) व्यंजन (4) 
4. उत्क्षिप्त व्यंजन (2)
 1.स्पर्श व्यंजन (Mutes):-
क  ख  ग  घ  ड - कवर्ग
 च  छ  ज  झ     - चवर्ग
 ट  ठ  ड  ढ  ण  - टवर्ग
 त  थ   द  ध  न  - तवर्ग
 प  फ  ब  भ  म -  पवर्ग 
ड ,ण ,न,म, व्यंजन वर्णों का उच्चारण नासिका के साथ -साथ क्रमसः :कंठ,तालु,मूर्धा,दन्त,ओष्ठ  के स्पर्श सर होता है। इन्हें 'नासिक्य व्यंजन' कहते हैं 
2.अंतःस्थ व्यंजन (Semi Vowels):-'अंतःस्थ' का शाब्दिक अर्थ है -मध्य में रहने वाला। अंतःस्थ व्यंजनों में जिह्वा मुख के किसी भाग को पूरी तरह नहीं छूती । वायु भी बहुत  के लिए रूकती है इसीलिए ये यंजन अंतःस्थ व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या चार हैं -य ,र ,ल ,व। 
3. संघर्षी (उष्म) व्यंजन(Sibilants):- उष्म' का अर्थ है - गर्म।  उष्म व्यंजन ऐसे व्यंजन हैं जिनको बोलते समय अंदर से आती वायु मुख के विभिन्न भागों से घर्षण करती (रगड़ती )है। अतः रगड़ के साथ उच्चारण होने के कारण इन्हें संघर्षी व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या चार है -श ,ष ,स ,ह। 
4. उत्क्षिप्त व्यंजन:-ड और ढ के विस्तारित रूप ड़ और ढ़ उत्क्षिप्त व्यंजन हैं जिनके उच्चारण के समय जीभ मूर्धा को स्पर्श करके तुरंत निचे गिरतीं है।  
ध्यान दें की ड़ और ढ़ शब्द के प्रारम्भ में कभी नहीं आते। ये केवल सभ के मध्य और अंत में आते हैं  जैसे - ताड़न, पकड़ना,पीड़ा, पढ़ना, चढ़ना गढ़। 

                          व्यंजनों का वर्गीकरण (Classification of Consonants)

1.स्वर-तंत्री के आधार पर:

(क)  अघोष -इन ध्वनियों के उच्चारण में स्वर - तान्त्रियो में कपन नहीं होता। क ,ख ,छ ,ट ,ठ ,त ,थ ,प ,फ (प्रत्येक वर्ग के प्रथम और द्वितीय वर्ण ) तथा श, ष, स, अघोष व्यंजन हैं। 
(ख)   सघोष - इन ध्वनियों के उच्चारण में स्वर -तंत्रियों में कम्पन  होता हैं। ग ,घ ,ड ,ज,झ ,,आदि (प्रत्येक वर्ग के तीन वर्ण )तथा य, र, ल, व, ह, सघोष व्यंजन हैं। 

2. श्वास (स्वास) की मात्रा के आधार पर :

(क)  अल्पप्राण -इनके उच्चारण में फेफड़ों से बहार निकलने वाली वायु की मात्रा काम होती है ;क, ग, च, आदि (प्रत्येक वर्ग के प्रथम, तीसराऔर और पांचवा  वर्ण) तथा य, र, ल, व, (अंतःस्थ वर्ण) 
(ख)    महाप्राण - इनके उच्चारण में फेफड़ों से बहार निकने वाली वायु की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है ;जैसे ख, घ, छ, थ, आदि ( प्रत्येक वर्ग के दूसराऔर चौथा वर्ण) तथा श, ष, स, ह,(उष्म वर्ण ) 

हलन्त व्यंजन - व्यंजन, स्वरों की सहायता के बिना नहीं बोले जाते। अतः हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों में 'अ'  मिलकर लिखा जाता है। जिन व्यंजनों में 'अ ' नहीं होता उसके निचे हलन्त लगाया जाता है , जिसे हल चिन्ह (अर्थात स्वर रहित व्यंजन ) कहते है ;क्, ख्, ग्, . उदाहरण -ओउम्  आदि। 

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