भाषा ,हिंदी भाषा ,लिपि व्याकरण का साहित्य | [Language, Hindi Language, Script, Grammar and Literature
भाषा की परिभाषा
भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर अथवा लिखकर व्यक्त करता है और दुसरो के विचारों को सुनकर और पढ़कर ग्रहण करता है।
इससे निष्कर्ष यह निकला कि विचारों भावों के परस्पर आदान -प्रदान को वहन करने वाला माध्यम भाषा है। संस्कृत की 'भाष' धातु से बने 'भाषा' शब्द का अर्थ है - स्पष्ट वाणी ,और स्पष्ट वाणी क्या है ? यह है -सार्थक शब्दों में गुँथी या पिरोई हुई सार्थक ध्वनियाँ जो मनुष्य के मुख निकलकर उसके विचारों को प्रेषित करती हैं जैसे दूसरे मनुष्यों को।
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भाषा ,हिंदी भाषा ,लिपि व्याकरण का साहित्य | [Language, Hindi Language, Script, Grammar and Literature |
भाषा के मुख्यतः दो रूप होते है
1 . भाषा का मौखिक रूप
2. भाषा का लिखित रूप
1. मौखिक भाषा :-व्यक्ति अपने विचारों या मन के भावों को जब बोलकर व्यक्त करता है तो उसके द्वारा बोली जाने वाली भाषा 'मौखिक भाषा 'कहलाती है।
अधिकतर लोगों द्वारा बोली जाने वाली मौखिक भाषा प्रायः व्याकरण के नियमो के अनुरूप नहीं होती।
2. लिखित भाषा :- व्यक्ति अपने विचारों या मन के भावों को जब बोलकर नहीं बल्कि लिखकर व्यक्त करता है तब हम उसेलिखित भाषा कहते है।
पत्रों ,समाचारों और साहित्य आदि की पुस्तकों में प्रयुक्त होने वाली भाषा 'लिखित भाषा' होती है जो व्याकरण की नियमों में बँधा होता है।
3. सांकेतिक भाषा :- व्यक्ति अगर अपने मन के विचारों को अगरअपने संकेतों द्वारा व्यक्त करता है तो उसे सांकेतिक भाषा कहते है।
संकेत और संकेत - चिन्हों द्वारा विचार किसी विवशता और समर्थता के कारण व्यक्त किये जाते है जो अपने आप पूर्ण होते है और न स्पष्ट। अतः इन्हे 'भाषा' नहीं कहा जा सकता।
मातृभाषा (Mother Tongue)
हम जिस स्थान पर जन्म लेते है ,जिस परिवेश में पलते बढ़ते है उस स्थान और परिवेश में व्यवहृत भाषा को स्वयं बोलने लगते हैं। भाषा का वह रूप 'मातृभाषा' कहलाता है ; जैसे - उत्तर प्रदेश मूलतः हिंदी- भाषी राज्य है अतः यहाँ जन्म लेने वाले वाली की मातृभाषा हिंदी होगी। जबकि पंजाब में रहने वाली की पंजाबी होगी।
हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएँ ( Hindi and other Indian Language)
भारतवर्ष एक विशाल देश है जिसमे अनेक राज्य हैं। इन राज्यों में रहने वाले लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं : जैसे - उत्तर प्रदेश ,मध्यप्रदेश ,बिहार ,उत्तराखंड ,राजस्थान ,आदि राज्यों में हिंदी बोली जाती है तो पंजाब में पंजाबी ,बंगाल में बंगाली ,तमिलनाडु में तमिल ,आँध्रप्रदेश में तेलगू ,करतनाक में कन्नड़,केरल में मलयालम और उड़ीसा में उड़िया बोली जाती है।
राष्ट्रभाषा (National Language)
जो भाषा किसी देश के सबसे बड़े भू -भाग में बोली जाती है , व्यायहारिक रूप से वह भाषा उस देश की राष्ट्रभाषा कहलाने की अधिकारिणी होती है। इस दृष्टि से हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। सैद्धांतिक रूप से जिन भाषाओं को हमारे देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है वे सब भी राष्ट्रीय भाषाएँ कहलाती हैं। संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित इन भाषाओं की संख्याअब अठारह से बढ़कर बाईस हो गयी है। इन भाषाओँ के नाम सरलता से याद रखने हेतु निचे दिए गए है :-
(1) असमिया (2) उड़िया (3) उर्दू (4) कन्नड़ (5) कश्मीरी (6) कोंकणी (7) गुजरती (8) डोंगरी (9) तमिल (10) तेलगू (11) नेपाली (12) पंजाबी (13) बंगला (14) बोडो (15) मणिपुरी (16) मराठी (17) मलयालम (18) मैथिलि (19) संथाली (20) संस्कृत (21) सिंधी (22) हिंदी।
राजभाषा (Official Language)
हमारे देश में केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों में राज्य सरकारों के शासन/प्रशासन आदि के कार्य करने के लिए जो भाषा प्रयोग में लायी जाती है ,वह राजभाषा कहलाती है इस भाषा का स्वरुप बोलचाल की तथा साहित्य की भाषा से भिन्न होता है। भारत एक संघ है अतः भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को हिंदी भाषा को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार कर लिया। इसलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को 'हिंदी दिवस' मनाया जाता है।
विभिन्न राज्यों की राज्य सरकार द्वारा अपने राज्य में सरकारी कामकाज किया जाता है , जैसे- बंगाल में बंगला भाषा में ,महाराष्ट्र में मराठी में, तमिलनाडु में तमिल में। इस प्रकार ये भाषाएँ सम्बंधित राज्य की राजभाषा कहलाती हैं।
उपभाषा ( Sub- Language)
पहचान या लक्षणों की दृष्टि से उपभाषा का स्वरुप लगभग भाषा के सामान ही होता है। भाषा और उपभाषा में अंतर केवल इतना है की बोलचाल में इसका प्रयोग भाषा की अपेक्षा प्रयाप्त सीमित होता है। उपभाषा में साहित्य-रचना की भी प्रयाप्त क्षमता होती है। ब्रज और अवधि की जो बोलियाँ थीं ,उत्कृष्ट साहित्य रचना के कारण ही अब उपभाषा के स्तर पर पहुँच गयी है।
बोली (Dialect)
किसी क्षेत्र -विशेष में प्रयोग किया जाने वाला भाषा का स्थानीय रूप 'बोली' कहलाता है। किसी भाषा अथवा उपभाषा के क्षेत्र में कई बोलियां हो सकती हैं। जैसे -गढ़वाली और छत्तीसगढ़ी बोलियाँ गिनती में आती हैं। इनका प्रयोग दूसरे राज्यों /क्षेत्रों के अन्य भाषा -भाषी लोगों के साथ विचारों के आदान - प्रदान में न होकर उसी क्षेत्र के लोगो के साथ होता है।
लिपि (Script)
परिभाषा :-भाषा की ध्वनियों की लिखकर प्रकट करने के लिए निश्चित किये गए चिन्हों की व्ययस्था को लिपि कहते हैं।
भाषा की ध्वनियों को जिन लेखन चिन्हों द्वारा प्रकट किया जाता है ,उनसे लिपि बनती है। प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है ;किन्तु कुछ भाषाएँ भिन्न होने पर भी उनकी लिपि एक हो सकती है ; जैसे - संस्कृत,हिंदी,और मराठी की लिपि देवनागरी' है। प्रत्येक भाषा के लिखित रूप काआधार उस भाषा की लिपि होती है।
लिखी जाने वाली भाषाओं की अपनी लपि होती है ;जैसे -
1. हिंदी ,संस्कृत,मराठी और नेपाली भाषाओं की लिपि - देवनागरी
2. अंग्रेजी की लिपि -रोमन
3. पंजाबी की लिपि -गुरुमुखी
4. उर्दू या अरबी की लिपि - फ़ारसी
व्याकरण (Grammar)
परिभाषा :- व्याकरण वह शास्त्र है जिसकी सहायता से हम भाषा को शुद्ध -शुद्ध लिखना ,पढ़ना तथा बोलना सीखते हैं।
व्याकरण के निम्नलिखित चार अंग होते है
1. वर्ण -विचार (Phonology)
2. शब्द -विचार (Morphology)
3. पद -विचार (Parsing)
4. वाक्य -विचार (Syntax)
व्याकरण के ज्ञान से ही मनुष्य किसी भाषा की प्रकृति को समझकर उसे शुद्ध रूप से बोलने ,लिखने ,पढ़ने और समझने की क्षमता प्राप्त करता है। इस प्रकार भाषा में शुद्धता और एकरूपता बनाये रखने में व्याकरण बहुत उपयोगी होता है।
साहित्य (Literature)
जब हम हिंदी - साहित्य कहते हैं तो सामान्यतः हमारा आशय हिंदी में लिखी हुई उन कृतियों से होता है जो कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक आदि में होती हैं। लेकिन हिंदी कभी- कभी दर्शन, धर्म, इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, भूगोल और विज्ञान आदि विषयों की पुस्तकों को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। यह ज्ञान साहित्य है अंग्रेजी भाषा में भी 'लिटरेचर' शब्द का प्रयोग कभी -कभी इसी व्यापक रूप में किया जाता है। इस व्यापक अर्थ में प्रयोग किये जाने वाले 'साहित्य' शब्द के लिए संस्कृत में एक बहुत उपयुक्त शब्द है : 'वाङ्मय' वाक्अर्थात भाषा के माध्यम से भी कहा या लिखा गया हो वह सब कुछ 'वाङ्मय' है। इसकेअंतर्गत काव्य तो है ही ,सभी प्रकार के शास्त्र भी आ जाते है -चाहे वे भौतिक विज्ञानं के हों,चाहे समाज विज्ञानं के अथवा मानविकी के हों।
भाषा ,हिंदी भाषा ,लिपि व्याकरण का साहित्य
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