लोकोक्तियाँ। Proverb भाग-2
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लोकोक्तियाँ भाग -2 |
21. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है ( संगति का प्रभाव पड़ता है ) - मोहित को देख कर मैं भी खूब पढ़ने लगा बहुत हूँ। आखिर खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।
22. खोदा पहाड़ निकली चुहिया ( परिश्रम अधिक फल कम ) - बीस एकड़ जमीन पर धान बोया खाद-पानी मजदूरी में बहुत पैसे लगा दिए और गेहू हुआ सिर्फ़ ३ क्विण्टल। खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
23. जहाँ चाह वहाँ राह ( इच्छा होने पर काम बन जाता है ) - रमन अपनी पढाई पूरी करने के लिए दृढ रहे, और अंत में उन्हें वांछित सफलता प्राप्त हो ही गई। सच कहा है जहाँ चाह वहाँ राह।
24. जल में रहकर मगर से बैर ( जहाँ रहना वहाँ के लोगों से शत्रुता करना ) - अविनाश मोहल्ले का माना हुआ बदमाश है। उससे बैर करना तो जल में रहकर मगर से बैर करने के समान है।
25. जाको राखै साईयाँ, मार सकै न कोय ( भगवान जिसकी रक्षा करता है उसका कोई बुरा नहीं कर सकता ) - बच्चा छत से गिरकर भी बच गया। सच है जाको राखै साईयाँ, मार सकै न कोय।
26. जैसा देश वैसा वेश ( वातावरण के मुताबिक ढलना ) - इस बार उसको शिमला जाना है। मैंने कहा कि शिमला में बहुत सर्दी है, वहां तुम्हे सूट पहनना ही पड़ेगा क्योंकि जैसा देश वैसा वेश रखना पड़ता है।
27.जैसी करनी वैसी भरनी ( जैसा करो वैसा फल मिलता है ) - राम ने मेरी पुस्तक छीन ली थी पर आज उसकी पुस्तक खो गयी है। सच है जैसी करनी वैसी भरनी।
28. जिसकी लाठी उसकी भैस ( ताकतवर की विजय होती है ) - भारत की शांति की निति का लाभ उठाकर चीन ने भारत के बहुत भाग पर अधिकार कर लिया है। अब तक भारत शायद भूल गया है की जिसकी लाठी उसकी भैस होती है।
29. थोथा चना बाजे घना ( योग्यता काम, बातें अधिक ) - लड़की वालों ने विवाह से पूर्व ढींगे तो बहुत मारीं पर बरात की अच्छी सेवा भी नहीं कर सके। सच है थोथा चना बाजे घना।
30. दूध का जला छाछ को भी फूँककर पीता है ( एक बार हानि होने पर हमेश सावधानी बरतना ) - जब से मेरा पैसा गायब हुआ है तब से मैं चौकस रहता हूँ सच है दूध का जला छाछ को भी फूँककर पीता है।
31. बिन माँगे मोती मिले मांगे मिले न भीख ( मांगने पर कुछ न मिलना और बिना मांगे अधिक प्राप्त होना ) - रोहन की खाना खाने भर के पैसे नहीं थे। नौकरी वाली पत्नी मिलने पर अच्छी ज़िंदगी व्यतीत करने लगा है सच है - बिन माँगे मोती मिले मांगे मिले न भीख।
32. बिल्ली के भागों छींका टुटा ( मनचाहा काम अकस्मात पूरा हो जाना ) - आंधी रात को वर्षा से जेल की दीवार गिर गयी और कई कैदी भाग निकले यूँ समझो कि बिल्ली के भागों छींका टुटा।
33. मुँह में राम बगल में छुरी ( कपटी व्यक्ति ) - नरेश तुम्हारे सामने तो मीठा बोलता है पर मेरे सामने तुम्हारी निंदा करता है। भाई वह तो मुँह में राम बगल में छुरी रखता है इसलिए उससे सावधान रहना।
34. लातों के बहुत बातों से नहीं मानते ( धूर्त आदमी मार खाकर ही सुधरते हैं ) - समझाने से कुछ नहीं होगा। इसकी खूब पिटाई करनी पड़ेगी तभी सच बताएगा क्योंकि लातों के बहुत बातों से नहीं मानते।
35. सहज पके सो मीठा होय ( धीरे -धीरे किया हुआ काम अच्छा होता है ) - इस भवन का निर्माण बड़ी धीमी गति से हो रहा है पर वह बनावट सबको मात दे जायेगा क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
36. साँच को आँच नहीं (सच्चे को डरने की आवश्यकता नहीं ) - पुलिस ने उसे अफीम के झूठे मामले में फँसा लिया था किन्तु न्यायालय ने उसे बरी कर दिया। सच ही कहा है की साँच को आँच नहीं।
37. सौ सुनार की एक लुहार की ( बार-बार सहना पर एक बार बदला लेना ) - बार-बार तंग किये जाने पर नौकर ने मालिक को गाला घोंटकर मार दिया। सच है, सौ सुनार की एक लुहार की।
38. हाथ कंगन को आरसी क्या ( प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती ) - यह साड़ी तुम्हारे सामने है। खुद ही देख लो कितनी बढ़िया है - हाथ कंगन को आरसी क्या।
39. हथेली पर सरसों नहीं जमती ( आरम्भ करते ही कोई काम पूरा नहीं हो जाता ) - अभी तक घर में एक मेज भी नहीं आ सकी। सब कुछ धीरे-धीरे जुटाया जा सकेगा -हथेली पर सरसों नहीं जमती।
40. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और (दिखावा कुछ और तथा वास्तविकता कुछ और ) - रमेश औरों को रिश्वत लेने से मना करता है और खुद चोरी-छिपे लेता है। इसे कहते है हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
23. जहाँ चाह वहाँ राह ( इच्छा होने पर काम बन जाता है ) - रमन अपनी पढाई पूरी करने के लिए दृढ रहे, और अंत में उन्हें वांछित सफलता प्राप्त हो ही गई। सच कहा है जहाँ चाह वहाँ राह।
24. जल में रहकर मगर से बैर ( जहाँ रहना वहाँ के लोगों से शत्रुता करना ) - अविनाश मोहल्ले का माना हुआ बदमाश है। उससे बैर करना तो जल में रहकर मगर से बैर करने के समान है।
25. जाको राखै साईयाँ, मार सकै न कोय ( भगवान जिसकी रक्षा करता है उसका कोई बुरा नहीं कर सकता ) - बच्चा छत से गिरकर भी बच गया। सच है जाको राखै साईयाँ, मार सकै न कोय।
26. जैसा देश वैसा वेश ( वातावरण के मुताबिक ढलना ) - इस बार उसको शिमला जाना है। मैंने कहा कि शिमला में बहुत सर्दी है, वहां तुम्हे सूट पहनना ही पड़ेगा क्योंकि जैसा देश वैसा वेश रखना पड़ता है।
27.जैसी करनी वैसी भरनी ( जैसा करो वैसा फल मिलता है ) - राम ने मेरी पुस्तक छीन ली थी पर आज उसकी पुस्तक खो गयी है। सच है जैसी करनी वैसी भरनी।
28. जिसकी लाठी उसकी भैस ( ताकतवर की विजय होती है ) - भारत की शांति की निति का लाभ उठाकर चीन ने भारत के बहुत भाग पर अधिकार कर लिया है। अब तक भारत शायद भूल गया है की जिसकी लाठी उसकी भैस होती है।
29. थोथा चना बाजे घना ( योग्यता काम, बातें अधिक ) - लड़की वालों ने विवाह से पूर्व ढींगे तो बहुत मारीं पर बरात की अच्छी सेवा भी नहीं कर सके। सच है थोथा चना बाजे घना।
30. दूध का जला छाछ को भी फूँककर पीता है ( एक बार हानि होने पर हमेश सावधानी बरतना ) - जब से मेरा पैसा गायब हुआ है तब से मैं चौकस रहता हूँ सच है दूध का जला छाछ को भी फूँककर पीता है।
31. बिन माँगे मोती मिले मांगे मिले न भीख ( मांगने पर कुछ न मिलना और बिना मांगे अधिक प्राप्त होना ) - रोहन की खाना खाने भर के पैसे नहीं थे। नौकरी वाली पत्नी मिलने पर अच्छी ज़िंदगी व्यतीत करने लगा है सच है - बिन माँगे मोती मिले मांगे मिले न भीख।
32. बिल्ली के भागों छींका टुटा ( मनचाहा काम अकस्मात पूरा हो जाना ) - आंधी रात को वर्षा से जेल की दीवार गिर गयी और कई कैदी भाग निकले यूँ समझो कि बिल्ली के भागों छींका टुटा।
33. मुँह में राम बगल में छुरी ( कपटी व्यक्ति ) - नरेश तुम्हारे सामने तो मीठा बोलता है पर मेरे सामने तुम्हारी निंदा करता है। भाई वह तो मुँह में राम बगल में छुरी रखता है इसलिए उससे सावधान रहना।
34. लातों के बहुत बातों से नहीं मानते ( धूर्त आदमी मार खाकर ही सुधरते हैं ) - समझाने से कुछ नहीं होगा। इसकी खूब पिटाई करनी पड़ेगी तभी सच बताएगा क्योंकि लातों के बहुत बातों से नहीं मानते।
35. सहज पके सो मीठा होय ( धीरे -धीरे किया हुआ काम अच्छा होता है ) - इस भवन का निर्माण बड़ी धीमी गति से हो रहा है पर वह बनावट सबको मात दे जायेगा क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
36. साँच को आँच नहीं (सच्चे को डरने की आवश्यकता नहीं ) - पुलिस ने उसे अफीम के झूठे मामले में फँसा लिया था किन्तु न्यायालय ने उसे बरी कर दिया। सच ही कहा है की साँच को आँच नहीं।
37. सौ सुनार की एक लुहार की ( बार-बार सहना पर एक बार बदला लेना ) - बार-बार तंग किये जाने पर नौकर ने मालिक को गाला घोंटकर मार दिया। सच है, सौ सुनार की एक लुहार की।
38. हाथ कंगन को आरसी क्या ( प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती ) - यह साड़ी तुम्हारे सामने है। खुद ही देख लो कितनी बढ़िया है - हाथ कंगन को आरसी क्या।
39. हथेली पर सरसों नहीं जमती ( आरम्भ करते ही कोई काम पूरा नहीं हो जाता ) - अभी तक घर में एक मेज भी नहीं आ सकी। सब कुछ धीरे-धीरे जुटाया जा सकेगा -हथेली पर सरसों नहीं जमती।
40. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और (दिखावा कुछ और तथा वास्तविकता कुछ और ) - रमेश औरों को रिश्वत लेने से मना करता है और खुद चोरी-छिपे लेता है। इसे कहते है हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
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